Friday 11 February 2011

दीवारें

सुना था दीवारों के चेहरे होते हैं कई
पर अब तो चेहरों पे दीवारें बन गयी हैं
रूह घुट सी रही है कहीं

1 comment:

  1. मेरे होठों की बात छीन ली गीता जी आपने ।

    जितेन्द्र

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